एक गुलमोहर को हवा में लहलहाते देखा
था जिसका एक भी पत्ता हरा नहीं !
क्या खुद को पावक लपटों के कर सुपुर्द वो डरा नहीं?
हे राम ! ये क्या विडम्बना है,
क्या सीता के एक अग्नि परीक्षा से आपका मन भरा नहीं ??
था जिसका एक भी पत्ता हरा नहीं !
क्या खुद को पावक लपटों के कर सुपुर्द वो डरा नहीं?
हे राम ! ये क्या विडम्बना है,
क्या सीता के एक अग्नि परीक्षा से आपका मन भरा नहीं ??
No comments:
Post a Comment