Random Thoughts
Friday, 9 December 2011
इंतज़ार
लगा उनके आने कि आहात थी
पर दर पे सिर्फ हवा कि सरसराहट थी
चौखट पर दीप जल रहा था
रात का एक एक पहर आगे बढ़ रहा था
राह ताकती बैठी रहूंगी में यु हि रात भर
बस एक हि अरमान है के रख दूं उनके कंधे पर अपना सर
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