दरार है अब बाँध में
जागो ! सैलाब आ जायेगा
जागो ! सैलाब आ जायेगा
जन ,जीवन, सपने, उम्मीद
सब अपने संग बहा ले जायेगा !
दो मुट्ठी मिटटी ले
सब अपने संग बहा ले जायेगा !
दो मुट्ठी मिटटी ले
विकट दरार को भर दो
बहा दो पसीना तन मन का
हर जतन आज तुम कर लो !
हाथ तुम भी अपना लगा दो
युग तेरा आभारी कहलायेगा
आज शक्ति, युक्ति , भक्ति अपनी दिखा दो
वरना हर तरफ बस पानी....खारा पानी, रह जायेगा !!!!
हर जतन आज तुम कर लो !
हाथ तुम भी अपना लगा दो
युग तेरा आभारी कहलायेगा
आज शक्ति, युक्ति , भक्ति अपनी दिखा दो
वरना हर तरफ बस पानी....खारा पानी, रह जायेगा !!!!
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