क्यों तडपाये?
अब दे देना मेरी बाँसुरिया !!
कान्हा !!बनं जा ना तू मेरा सावरिया
छोरके सारे मेल
बस मेरे संग खेल !!
राधे !! भरी है तेरी आधी गगरिया
कैसे खेलेगी तू खेल ?
अब दे देना मेरी बाँसुरिया !!
कान्हा !!तू ना खेले मेरे संग तोह
ना दूँगी में तेरी बाँसुरिया
बैठा रह तू यमुना के तीर सारी दुपहरिया !!
राधा !!दे देना मेरी मुरलिया ?
छेडूंगा ऐसी तान
टूटेगा तेरा अभिमान
नाचेगी उसपे मेरी राधा रानी
तृप्त हो जायेगा यह यमुना का पानी !!
राधा हलके से मुस्कुरायी
मन पे काबू ना कर पाई
सुन कान्हा कि मीठी बात
दे दी बाँसुरिया कान्हा हाथ
ओढ़ के चुनरिया धानी
ले भर गागर में पानी
नाचे वोह अपने कान्हा के संग
रंग गयी अब तोह वोह कान्हा के रंग !!
No comments:
Post a Comment