Friday 9 December 2011

आंखे

यह तेरी दो आंखे
हस्ती है तेरी आँखे
मेरे दिल कि बस्ती है तेरी आँखें
सवेरा हो जो उठती है तेरी आँखे
शाम रंगीन हो जो झुकती है तेरी आँखें
शरारत कर तरसती है तेरी आँखे
प्यासे इस दिल को तडपती है तेरी आंखें
अटखेलियों में उलझती है तेरी आँखें
मोम बने दिल को पिघलती है तेरी आंखें
मैं छुपना भी चाहूं अगर
तोह मुझे ढून्ढ लती है तेरी आँखें

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