हे इश्वर ! कर निर्माण एक नए युग का
अपने साहस का तुम प्रमाण दे ,
हर पाशान ह्रदय हो द्रवित द्रवित
ऐसे तू अब वरदान दे !!
धमनी में जो अग्नि बन दौड़े
ऐसा तू अब रक्त दे
उत्थान कर सके जो पतित युग का
ऐसा तू हस्त ,सख्त दे !!!
धमनी में जो अग्नि बन दौड़े
ऐसा तू अब रक्त दे
उत्थान कर सके जो पतित युग का
ऐसा तू हस्त ,सख्त दे !!!
क्यारी क्यारी जो बोये बीज कर्म का
ऐसे तू अब किसान दे ,
कर सके रचना एक स्वर्णिम युग का
ऐसे तू अब इंसान दे !!!
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